Home > Marathi > ज्वार (Sorghum Millet in Hindi) | फायदे, उपयोग, इतिहास और पौष्टिक जानकारी

ज्वार (Sorghum Millet in Hindi) | फायदे, उपयोग, इतिहास और पौष्टिक जानकारी

Sorghum Millet in Hindi ज्वार कहा जाता है. ज्वार भारत में उगाई जाने वाली एक प्राचीन और पौष्टिक फसल है. यह एक प्रमुख मोटा अनाज (Millet) है जो हजारों वर्षों से भारतीय आहार का हिस्सा रहा है. भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ अनाज लोगों के जीवन का आधार हैं. चावल और गेहूं के साथ-साथ देश में कई प्रकार के मोटे अनाज उगाए जाते हैं जिन्हें मिलेट्स कहा जाता है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण और पौष्टिक अनाजों में से एक है ज्वार.

ज्वार को ग्रामीण इलाकों में आज भी प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में खाया जाता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ज्वार को पौष्टिक और संतुलित भोजन माना जाता है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा, ताकत और बेहतर पाचन प्रदान करता है.

 

ज्वार क्या है? (What is Sorghum Millet)

ज्वार एक प्रकार का मोटा अनाज है जो Poaceae परिवार से संबंधित है. इसका वैज्ञानिक नाम Sorghum bicolor है. यह पौधा देखने में मक्के की तरह होता है और 8 से 12 फीट तक ऊँचा बढ़ सकता है. इसके दाने छोटे, गोल और हल्के भूरे या सफेद रंग के होते हैं.

भारत में ज्वार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में होती है. यह फसल विशेष रूप से सूखे और गर्म इलाकों में उगाई जाती है क्योंकि इसे बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती. ज्वार को मुख्य रूप से खरीफ मौसम में बोया जाता है और तीन से चार महीनों में यह फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.

पोषण के लिहाज से ज्वार बहुत समृद्ध अनाज है. इसमें कार्बोहायड्रेट्स, प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ज्वार के सेवन से शरीर को दीर्घकालिक ऊर्जा मिलती है, जिससे यह एथलीट्स और सक्रिय जीवनशैली वाले लोगों के लिए आदर्श भोजन बन जाता है.

इसके अलावा, ज्वार का ग्लायसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए भी सुरक्षित है. इसमें ग्लूटेन नहीं होता, इसलिए इसे गेहूं के आटे की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. ज्वार के दानों से रोटी, उपमा, डोसा, और मिठाइयाँ भी तैयार की जाती हैं.

Sorghum Millet

ज्वार का इतिहास (History of Sorghum Millet)

ज्वार का इतिहास लगभग तीन हजार साल पुराना है. माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति अफ्रीका में हुई थी. वहाँ से यह एशिया, खासकर भारत, चीन और मध्य पूर्व के क्षेत्रों में पहुँचा. भारत में इसका उपयोग वैदिक काल से हो रहा है. अथर्ववेद और चरक संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी ज्वार का उल्लेख मिलता है.

भारत में इसे गरीबों का अनाज कहा जाता था क्योंकि यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता था. लेकिन इसकी असली ताकत इसके पोषण में छिपी है. आज के दौर में, जब लोग फास्ट फूड से बचकर हेल्दी विकल्प ढूंढ रहे हैं, ज्वार फिर से लोगों की थाली में जगह बना रहा है.

संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को “अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष” घोषित किया. इस पहल का उद्देश्य ज्वार जैसे पारंपरिक अनाजों को विश्वभर में लोकप्रिय बनाना था. भारत ने इस पहल का नेतृत्व किया क्योंकि देश में मिलेट्स की सबसे अधिक खेती होती है.

इतिहास में ज्वार का उपयोग केवल भोजन के रूप में ही नहीं बल्कि पशु चारे और ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जाता था. अफ्रीका और भारत में इसे लंबे समय तक सूखे इलाकों की मुख्य फसल माना गया. इसकी यही विशेषता इसे आज भी किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक फसल बनाती है.

ज्वार की खेती (Cultivation of Sorghum)

ज्वार की खेती भारत के अधिकांश राज्यों में की जाती है. यह गर्म और शुष्क जलवायु वाली फसल है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम वर्षा वाले इलाकों में भी अच्छी उपज देती है. इसलिए इसे सूखा-सहिष्णु फसल कहा जाता है.

खेती के लिए लाल, काली या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. ज्वार की फसल को बोने का सही समय जून से जुलाई के बीच होता है. यह फसल लगभग 90 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है.

खेती की मुख्य जानकारी नीचे दी गई है.

पैरामीटरविवरण
मौसमखरीफ और रबी
बीज बोने का समयजून से जुलाई
कटाई का समयअक्टूबर से नवंबर
आवश्यक वर्षा40-60 सेंटीमीटर
मिट्टीलाल या दोमट
फसल अवधि90-120 दिन
औसत उपज30-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

ज्वार का पोषण मूल्य (Nutritional Value per 100g)

ज्वार पोषक तत्वों से भरपूर एक संपूर्ण अनाज है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है.

घटकमात्रा
ऊर्जा329 kcal
प्रोटीन10.2 g
कार्बोहायड्रेट72 g
फाइबर6.7 g
वसा3.4 g
आयरन4.1 mg
कैल्शियम25 mg
मैग्नीशियम137 mg
फॉस्फोरस287 mg
पोटैशियम350 mg
विटामिन बी कॉम्प्लेक्सउपस्थित
फोलेट39 µg

ज्वार में पाए जाने वाले जटिल कार्बोहायड्रेट्स शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करते हैं. इससे ब्लड शुगर में अचानक वृद्धि नहीं होती.

फाइबर पाचन सुधारने में मदद करता है और लंबे समय तक पेट भरा रखता है. इसमें मौजूद आयरन और फॉस्फोरस हड्डियों की मजबूती और रक्त निर्माण में मदद करते हैं.

आधुनिक पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, ज्वार का नियमित सेवन मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगों के खतरे को कम कर सकता है. यही कारण है कि यह आज हेल्थ-कॉन्शियस लोगों के आहार में शामिल किया जा रहा है.

ज्वार के प्रकार

भारत में ज्वार की कई किस्में पाई जाती हैं. हर प्रकार की अपनी पोषण संरचना और उपयोग होता है. नीचे प्रमुख किस्मों की जानकारी दी गई है.

प्रकारविशेषता
रेड ज्वारएंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर
व्हाइट ज्वारहल्का स्वाद
येलो ज्वारप्रोटीन और फाइबर से भरपूर
ब्राउन ज्वारआयरन से समृद्ध
स्वीट ज्वारपशु चारे और बायोएथेनॉल उत्पादन में उपयोगी

ज्वार के स्वास्थ्य लाभ

ज्वार को सुपरफूड कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है.

  1. हृदय स्वास्थ्य: ज्वार में मौजूद पॉलीफेनोल्स खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाते हैं.

  2. मधुमेह नियंत्रण: इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स कम होता है जिससे यह शुगर लेवल नियंत्रित रखता है.

  3. वजन नियंत्रण: फाइबर भूख कम करता है और अधिक खाने की आदत घटाता है.

  4. हड्डियों की मजबूती: इसमें फॉस्फोरस और कैल्शियम होते हैं जो हड्डियों को मजबूत करते हैं.

  5. इम्यूनिटी: जिंक और आयरन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं.

  6. त्वचा और बाल: विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स त्वचा की चमक और बालों की मजबूती बढ़ाता है.

नियमित रूप से ज्वार खाने से शरीर को दीर्घकालिक ऊर्जा मिलती है और कई बीमारियों से बचाव होता है.

ज्वार से बने व्यंजन

व्यंजनउपयोग
ज्वार रोटीदैनिक भोजन में मुख्य आहार
ज्वार उपमानाश्ते के लिए पौष्टिक विकल्प
ज्वार खिचड़ीहल्का और पचने में आसान
ज्वार डोसाग्लूटेन-मुक्त दक्षिण भारतीय व्यंजन
ज्वार खीरस्वादिष्ट मिठाई
ज्वार लड्डूऊर्जा देने वाला स्नैक
ज्वार पेजबच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त

ज्वार की आधुनिक उपयोगिता

अब ज्वार केवल ग्रामीण भारत तक सीमित नहीं है. हेल्थ और फिटनेस के बढ़ते ट्रेंड ने ज्वार को एक आधुनिक सुपरफूड बना दिया है.

आज ज्वार का उपयोग कई नए उत्पादों में किया जा रहा है जैसे ज्वार पास्ता, पिज्जा बेस, कुकीज, एनर्जी बार, और नाश्ते के सीरियल. कई फूड ब्रांड ज्वार को “ग्लूटेन-फ्री विकल्प” के रूप में मार्केट कर रहे हैं.

ज्वार से बने उत्पाद न केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि पारंपरिक भोजन का स्वस्थ विकल्प भी हैं. इसके आटे से ब्रेड, बिस्किट और पैनकेक तैयार किए जा रहे हैं.

यह रुझान भविष्य में और बढ़ेगा क्योंकि ज्वार टिकाऊ कृषि, पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ आहार तीनों में संतुलन प्रदान करता है.

वारंवार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या ज्वार रोजाना खाया जा सकता है?

हाँ. ज्वार रोजाना खाने के लिए सुरक्षित है. यह फाइबर, प्रोटीन और खनिजों से भरपूर होता है जो शरीर को संतुलित पोषण देता है. दिन में एक समय ज्वार से बने भोजन को शामिल करना अच्छा विकल्प है.

क्या ज्वार वजन घटाने में मदद करता है?

हाँ. ज्वार में फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो पाचन को धीमा करती है और लंबे समय तक पेट भरा रखती है. इससे कैलोरी इनटेक कम होता है और वजन नियंत्रित रहता है.

क्या ज्वार मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त है?

हाँ. ज्वार का ग्लायसेमिक इंडेक्स कम होता है. यह ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है और इन्सुलिन संतुलन बनाए रखता है. मधुमेह के मरीजों के लिए यह गेहूं और चावल का बेहतर विकल्प है.

क्या ज्वार ग्लूटेन-मुक्त है?

हाँ. ज्वार पूरी तरह ग्लूटेन-मुक्त अनाज है. इसे सीलिएक रोग या ग्लूटेन एलर्जी वाले लोग सुरक्षित रूप से खा सकते हैं.

क्या ज्वार बच्चों के लिए अच्छा है?

हाँ. ज्वार में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन होते हैं जो बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में मदद करते हैं. इसे खिचड़ी या पेज के रूप में दिया जा सकता है.

क्या ज्वार गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है?

हाँ. इसमें फोलिक एसिड और आयरन होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान खून की कमी रोकने में मदद करते हैं. हालांकि, सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना उचित है.

Picture of Gaurav

Gaurav

Gaurav is a millet expert, small-scale farmer, and digital marketing professional passionate about reviving traditional grains for modern living.